National War Memorial | राष्ट्रीय समर स्मारक: भारतीय सेना के शौर्य का श्रृंगार | Sequence Of Events | Importance of National War Memorial | Summary | FAQ

राष्ट्रीय समर स्मारक, जिसे हिंदी में ‘राष्ट्रीय समर स्मारक’ कहा जाता है, यह भारतीय सेना के उन बहादुर सैनिकों को समर्पित है जो ने स्वतंत्र भारत की सशक्त सेना के साथ युद्धों में अपने प्राणों की आहुति दी। यह स्मारक नई दिल्ली के इंडिया गेट सर्किल पर स्थित है और इसका निर्माण भारत सरकार ने किया है।

प्रस्तावना | Introduction:

भारतीय सेना ने अपने शौर्य, समर्पण, और बलिदान के माध्यम से देश की सुरक्षा के लिए अद्वितीय योगदान दिया है। इस योगदान की महत्वपूर्ण यात्रा को सजीव रखने के लिए और उन वीरों की याद को समर्पित करने के लिए भारत सरकार ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय समर स्मारक की स्थापना की है। यह स्मारक भारतीय सेना के शौर्य को याद करने और समर्पित करने का एक अद्वितीय स्थल है।

स्थान और संरचना:

राष्ट्रीय समर स्मारक नई दिल्ली के इंडिया गेट सर्किल पर स्थित है, जो दिल्ली के शहर की सबसे प्रमुख और ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। इस स्थल पर बना यह स्मारक भूमि के 40 एकड़ में विस्तृत है और इसमें भारतीय सेना के तीनों शाखाओं – सेना, नौसेना, और वायुसेना के योद्धाओं को समर्पित स्तूप, ‘अमर चक्र’ और अन्य स्मृतियों को शामिल करता है।

निर्माण और उद्घाटन:

राष्ट्रीय समर स्मारक का निर्माण भारत सरकार ने किया गया था और इसका उद्घाटन 25 फरवरी 2019 को किया गया था। इस अद्वितीय स्थल का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया, जिसे उन्होंने भारतीय सेना के वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए किया।

स्मारक की विशेषताएं:

  1. अमर चक्र: राष्ट्रीय समर स्मारक में स्थित ‘अमर चक्र’ एक अत्यंत महत्वपूर्ण भाग है। इसमें भारतीय सेना के तीनों शाखाओं के योद्धाओं के नाम होते हैं, जो ने अपने प्राणों की आहुति दी है। यह चक्र एक शौर्य का प्रतीक है और इसमें एक अद्वितीय असली चिन्ह होता है जो वीर योद्धाओं को समर्पित है।
  2. शौर्य स्तूप: स्मारक में स्थित शौर्य स्तूप भी एक अन्य अद्वितीय स्थल है जो भारतीय सेना के शौर्य को स्मृति में रखता है। इसमें वीर योद्धाओं के साहस और समर्पण की कथाएं संगृहीत हैं, जो यात्रीओं को इनके वीरता की अनुभूति कराती हैं।
  3. वीर श्रद्धांजलि स्तम्भ: स्मारक में वीर श्रद्धांजलि स्तम्भ भी है जो भारतीय सेना के वीरों को समर्पित है। इसमें उनकी श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है और यह एक गुंबद की भाषा में उनके योगदान की कहानी सुनाता है।

राष्ट्रीय समर स्मारक का महत्व | Importance of National War Memorial:

  1. वीरता की महत्वपूर्ण यात्रा: राष्ट्रीय समर स्मारक एक ऐसा स्थल है जो यात्रीओं को भारतीय सेना के वीर योद्धाओं की वीरता का अनुभव कराता है। यहां आने वाले लोग वीरों के समर्पण और बलिदान को समझते हैं और इनकी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
  2. नागरिकों की जागरूकता: इस स्मारक के माध्यम से सरकार ने नागरिकों को युद्ध और सेना के महत्व के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया है। यहां आने वाले लोग वीरता और समर्पण के मूल्यों को समझते हैं और इसे अपनी जीवनशैली में अपनाते हैं।
  3. ऐतिहासिक महत्व: राष्ट्रीय समर स्मारक ने भारतीय सेना के योद्धाओं के साहस और समर्पण को ऐतिहासिक रूप से दर्शाया है। यह स्थल भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और यह आने वाली पीढ़ियों को योद्धा स्पर्धा की महत्वपूर्णता का अवसर देता है।

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महत्वपूर्ण बातें | Important Points:

  1. स्मारक का स्थान और आकार: यह स्मारक 40 एकड़ भूमि पर बसा है और इसे भारत सरकार ने इंडिया गेट के पास, पहले से मौजूद छतरी (कैनोपी) के आस-पास बनाया है। इसमें भारतीय सेना के तीन शाखाओं के प्रमुखों के सामरिक उपकरणों के साथ अमर जवान ज्योति का अद्यतित प्रज्ज्वलन भी हुआ।
  2. निर्माण का समय: यह स्मारक जनवरी 2019 में पूरा हुआ और 25 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किया गया। इसमें भारतीय सेना के तीन शाखाओं के प्रमुखों के साथ अमर जवान ज्योति का अद्यतित प्रज्ज्वलन भी हुआ।
  3. पुराना अमर जवान ज्योति: इससे पहले, भारत के राष्ट्रीय समर स्मारक का कार्य भारत गेट के पास स्थित पुराने अमर जवान ज्योति ने किया था। यह 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद तेजी से बनाया गया था और इसका उद्घाटन 26 जनवरी 1972 को हुआ था। इस ज्योति की आग को 21 जनवरी 2022 को नए राष्ट्रीय समर स्मारक की ज्योति से मिलाई गई।

Sequence Of Events | समयरेखा :-

निर्माण से पहले :-

  • 1960: भारतीय सशस्त्र सेना द्वारा पहली बार एक राष्ट्रीय समर स्मारक की प्रस्तावना की गई।
  • 2006: सशस्त्र सेना और पूर्व सैनिकों की सतत मांग के सामना करते हुए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने एक मंत्रिमंडल (जिसके प्रमुख अध्यक्ष प्रणब मुखर्जी थे) का गठन किया ताकि यह मांग जांच सके। 2006 में, रक्षा मंत्रालय ने तय किया कि समर स्मारक को इंडिया गेट के पास स्थित किया जाएगा, लेकिन शहरी विकास मंत्रालय के पैनल ने कहा कि यह एक धरोहर क्षेत्र है और इस पर निर्माण नहीं होना चाहिए।
  • 20 अक्टूबर 2012: 50 वर्षों के बाद, सरकार ने 20 अक्टूबर 1962 को चीनी जनस्वतंत्र सेना द्वारा भारतीय सीमा रक्षा के खिलाफ की गई हमले की वार्षिकी को एक गौरवपूर्ण समारोह के द्वारा याद किया, जिसमें उन्होंने 1962 के युद्ध में मारे गए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस समारोह में, रक्षा मंत्री ए.के. एंटोनी ने (दिवंगत सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए) सरकार ने भारतीय सशस्त्र सेना की एक राष्ट्रीय समर स्मारक की दी मांग को स्वीकृत किया है, और यह इंडिया गेट के पास बनाया जाएगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि मंत्रिमंडल की सभी बाकी मुद्दे साफ कर दिए गए हैं। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित इस योजना का विरोध करती हैं।
  • फरवरी 2014: 2014 लोकसभा चुनावों के दौरान नरेंद्र मोदी ने बताया कि पूर्व सरकार ने समर स्मारक बनाने में असफल रही थी।[27]
  • 7 अक्टूबर 2015: संघीय मंत्रिमंडल ने समर स्मारक बनाने का प्रस्ताव पारित किया। इसने स्मारक और संग्रहालय के लिए ₹500 करोड़ का स्वीकृति दिया, स्मारक के लिए ₹176 करोड़ को मंजूरी दी।
  • मई 2016: संघीय मंत्रिमंडल ने एम्पावर्ड एपेक्स स्टीयरिंग कमेटी (ईएएसी) द्वारा लिये गए निर्णय की सूचना प्राप्त की कि प्रिन्सेस पार्क कॉम्प्लेक्स राष्ट्रीय समर संग्रहालय के निर्माण के लिए उपयुक्त स्थान होगा। स्मारक का निर्माण उपयुक्त करने के लिए ‘सी’ हेक्सागन द्वारा भारतीय संघ की मीटिंग में मंजूरी हो गई है।
  • 30 अगस्त 2016: राष्ट्रीय समर स्मारक और संग्रहालय के लिए एक वैश्विक डिज़ाइन प्रतियोगिता को MyGov.in वेब पोर्टल पर लॉन्च किया गया है।
  • अप्रैल 2017: वैश्विक डिज़ाइन प्रतियोगिता के परिणाम घोषित होते हैं। मुंबई स्थित स्टूडियो का प्रस्ताव राष्ट्रीय समर संग्रहालय के डिज़ाइन के लिए जीतता है, और चेन्नई स्थित वेबे डिज़ाइन लैब का प्रस्ताव स्मारक के डिज़ाइन के लिए घोषित किया जाता है। “राष्ट्रीय समर स्मारक के लिए वैश्विक डिज़ाइन प्रतियोगिता” के लिए कुल 427 प्रस्तुतियाँ प्राप्त हुईं जबकि “भारतीय राष्ट्रीय समर संग्रहालय के लिए वैश्विक स्थापत्य प्रतियोगिता” के लिए 268 प्रस्तुतियाँ प्राप्त हुईं। पूर्व की नेतृत्व में स्थापत्यकार और योजनाकार क्रिस्टोफर बेनिंगर।
  • 15 अगस्त 2018: राष्ट्रीय समर स्मारक अपने उद्घाटन के लिए पहली अंतिम तिथि को छूने में विफल रहता है।
  • 1 जनवरी 2019: राष्ट्रीय समर स्मारक का निर्माण सम्पन्न होता है (संग्रहालय का नहीं)।

निर्माण के बाद

  • 25 फरवरी 2019: राष्ट्रीय समर स्मारक का उद्घाटन होता है।
  • 30 मई 2019: नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय समर स्मारक का दौरा करते हैं और दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने से पहले भारत के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
  • 15 अगस्त 2019: भारत के राष्ट्रपति ने पहली बार इंडिया गेट के बजाय समर स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए श्रद्धांजलि अर्पित की।
  • 26 जनवरी 2020: प्रधानमंत्री ने पहली बार गणतंत्र दिवस पर प्रारंभ समय समर स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करने से पहले श्रद्धांजलि अर्पित की।
  • 23 जुलाई 2020: केंद्रीय सार्वजनिक कार्य विभाग ने राष्ट्रीय समर संग्रहालय के लिए सलाहकार का चयन के लिए बोली खोली
  • 26 जुलाई 2020 – कारगिल विजय दिवस की 21वीं सालगिरह, भारत के रक्षा मंत्री ने भारतीय सेना के साथ ही रक्षा मंत्री के रूप में, सीडीएस और त्रि-सेवा प्रमुखों के साथ एनडब्ल्यूएम पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
  • 16 दिसम्बर 2020 – प्रधानमंत्री ने श्रद्धांजलि अर्पित की और पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय विजय के स्वर्णिम जयंती वर्ष की शुरुआत की, जलती हुई अमर जवान ज्योति से स्वर्णिम विजय मशाल (स्वर्ण विजय टॉर्च) को राष्ट्रीय समर स्मारक में आग से जलाकर।
  • 21 जनवरी 2022 – भारत गेट की अमर जवान ज्योति को राष्ट्रीय समर स्मारक से मिला दिया गया है।

समाप्ति | Summary:

राष्ट्रीय समर स्मारक भारतीय सेना के शौर्य की महाकवि है। यह उन वीर योद्धाओं की याद को सजीव रखता है जो ने अपने प्राणों की बाजी लगाई ताकि हम सुरक्षित रह सकें। यह स्थल हमें उनकी बहादुरी और बलिदान के प्रति कृतज्ञ रहने का आदान-प्रदान करता है और हमें यह याद दिलाता है कि हमारी स्वतंत्रता का मूल्य उनके बलिदान से ही समझा जा सकता है।

राष्ट्रीय समर स्मारक एक ऐसा स्थल है जो भारतीय सेना के वीर योद्धाओं की अद्वितीय यात्रा को सजीव रखने का कारगर तरीका है। यह स्मारक वीरों की श्रद्धांजलि अर्पित करने, उनकी वीरता को समझने और उनके साहसी कृत्यों की महिमा करने का स्थान है। इसके माध्यम से आने वाले लोग देश के शौर्यपूर्ण इतिहास को महसूस करते हैं और इस श्रेणी के वीर योद्धाओं का आभास करते हैं जो ने अपने प्राणों की बाजी लगाई ताकि हम सुरक्षित रह सकें।

Frequently Asked Questions and Answers (FAQ) | राष्ट्रीय समर स्मारक: प्रमुख प्रश्न और उत्तर

Q. राष्ट्रीय समर स्मारक क्या है?

A. राष्ट्रीय समर स्मारक एक ऐसा स्थल है जो भारतीय सेना के वीर योद्धाओं को समर्पित है जो स्वतंत्र भारत के अलग-अलग संघर्षों में अपने प्राणों की आहुति देने में शामिल रहे हैं।

Q. इसका स्थान कहाँ है?

A. राष्ट्रीय समर स्मारक नई दिल्ली, इंडिया गेट सर्किल पर स्थित है।

Q. इसमें क्या स्मृतियाँ संगृहीत हैं?

A. इसमें भारतीय सेना के युद्ध स्तूप के रूप में बने हैं, जिसमें सेना, नौसेना, और वायुसेना के योद्धाओं की शौर्य की कथाएं संगृहीत हैं।

Q. कब और कैसे इसका उद्घाटन हुआ?

A. राष्ट्रीय समर स्मारक का निर्माण भारत सरकार द्वारा किया गया और इसका उद्घाटन 25 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया।

Q. क्या इसमें कोई खास सुविधाएं हैं?

A. हाँ, इसमें ‘अमर चक्र’ भी है जो वीर योद्धाओं को समर्पित है और एक शौर्य के प्रतीक के रूप में स्थापित किया गया है।

Q. राष्ट्रीय समर स्मारक का महत्व क्या है?

A. यह स्थल भारतीय सेना के शौर्य और बलिदान की याद को सजीव रखने के लिए महत्वपूर्ण है और यह लोगों में देशभक्ति और गर्व बढ़ाता है।

Q. पुराना और नया अमर जवान ज्योति में क्या अंतर है?

A. पुराना अमर जवान ज्योति भारत गेट पर स्थित था और इसे 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद बनाया गया था। नया अमर जवान ज्योति राष्ट्रीय समर स्मारक में है और इसका उद्घाटन 2022 में हुआ।

Q. कौन-कौन से युद्ध और संघर्षों की स्मृतियाँ हैं?

A. इसमें पाकिस्तान और चीन के साथ हुए युद्धों के साथ-साथ 1961 के गोवा युद्ध, ऑपरेशन पवन, और ऑपरेशन रक्षक जैसे अन्य संघर्षों के योद्धाओं के नाम स्मृति दी गई हैं।

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