महाराजा अग्रसेन की जीवन परिचय | Marraige | Confrontation with Indra | Start of Agrodak Ganrajya | Agradoot of Samajwad | Books on Maharaja Agrasen | Respect from Indian Government | Summary | FAQ
जीवन परिचय | Biography:-

दिल्ली में स्थित अग्रसेन की बावली, जिसका निर्माण महाराजा अग्रसेन ने महाभारत काल में करवाया था।

धार्मिक मान्यतानुसार इनका जन्म सूर्यवंशी महाराजा वल्लभ सेन के अंतिमकाल और कलियुग के प्रारम्भ में आज से 5143 वर्ष पूर्व हुआ था। वे समस्त खांडव प्रस्थ, बल्लभ गढ़, अग्र जनपद (आज की दिल्ली, बल्लभ गढ़, और आगरा) के राजा थे। उनके राज में कोई दुखी या लाचार नहीं था। वे एक धार्मिक, शांति दूत, प्रजा वत्सल, हिंसा विरोधी, बली प्रथा को बंद करवाने वाले, करुणानिधि, सब जीवों से प्रेम, स्नेह रखने वाले दयालु राजा थे। ये बल्लभ गढ़ और आगरा के राजा बल्लभ के ज्येष्ठ पुत्र, शूरसेन के बड़े भाई थे। महाराजा अग्रसेन भगवान राम के पुत्र कुश के 34 वीं पीढ़ी के हैं। 15 वर्ष की आयु में, अग्रसेन जी ने पांडवों के पक्ष से महाभारत युद्ध लड़ा था। भगवान कृष्ण ने टिप्पणी की है कि अग्रसेनजी कलयुग में एक युग पुरुष और अवतार होंगे जो जल्द ही द्वापर युग की समाप्ति के बाद आने वाले हैं। अग्रसेन सौरवंश के एक वैश्य राजा थे जिन्होंने अपने लोगों के लाभ के लिए वानिका धर्म अपनाया था।

वास्तुतः, अग्रवाल का अर्थ है “अग्रसेन की संतान” या “अग्रोहा के लोग“, प्राचीन में एक शहर हरियाणा क्षेत्र में हिसार के निकट कुरु पंचला की स्थापना अग्रसेन ने की थी।

भारतेन्दु हरिश्चंद्र के वृत्तांत के अनुसार, महाराजा अग्रसेन एक सूर्यवंशी क्षत्रिय राजा थे, जिनका जन्म महाभारत महाकाव्य काल में द्वापर युग के अंतिम चरणों में हुआ था, वे भगवान कृष्ण के समकालीन थे। वह राजा वल्लभ देव के पुत्र थे जो कुश (भगवान राम के पुत्र) के वंशज थे। वे सूर्यवंशी राजा मान्धाता के वंशज भी थे। अग्रसेन ने 18 गोत्र की स्थापना जो 18 ऋषियों के नाम पर आधारित है, जिनसे अग्रवाल गोत्र अस्तित्व में आए।

विवाह | Marriage:-

समयानुसार युवावस्था में उन्हें राजा नागराज की कन्या राजकुमारी माधवी के स्वयंवर में शामिल होने का न्योता मिला। उस स्वयंवर में दूर-दूर से अनेक राजा और राजकुमार आए थे। यहां तक कि देवताओं के राजा इंद्र भी राजकुमारी के सौंदर्य के वशीभूत हो वहां पधारे थे। स्वयंवर में राजकुमारी माधवी ने राजकुमार अग्रसेन के गले में जयमाला डाल दी। यह दो अलग-अलग संप्रदायों, जातियों और संस्कृतियों का मेल था। जहां अग्रसेन सूर्यवंशी थे वहीं माधवी नागवंश की कन्या थीं।

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इंद्र से टकराव | Confrontation with Indra:-

इस विवाह से इंद्र जलन और गुस्से से आपे से बाहर हो गये और उन्होंने प्रतापनगर में वर्षा का होना रोक दिया। चारों ओर त्राहि-त्राही मच गयी। लोग अकाल मृत्यु का ग्रास बनने लगे। तब महाराज अग्रसेन ने इंद्र के विरुद्ध युद्ध छेड दिया। क्योंकि अग्रसेन धर्म-युद्ध लड रहे थे तो उनका पलडा भारी था जिसे देख देवताओं ने नारद ऋषि को मध्यस्थ बना दोनों के बीच सुलह करवा दी।

तपस्या | PENANCE:-

कुछ समय बाद महाराज अग्रसेन ने अपने प्रजा-जनों की खुशहाली के लिए काशी नगरी जा शिवजी की घोर तपस्या की, जिससे भगवान शिव ने प्रसन्न हो उन्हें माँ लक्ष्मी की तपस्या करने की सलाह दी। माँ लक्ष्मी ने परोपकार हेतु कीगई तपस्या से खुश हो उन्हें दर्शन दिए और कहा कि अपना एक नया राज्य बनाएं और क्षात्र धर्म का पालन करते हुवे अपने राज्य तथा प्रजा का पालन – पोषंण व रक्षा करें! उनका राज्य हमेशा धन-धान्य से परिपूर्ण रहेगा|

अग्रोदक गणराज्य की स्थापना | Start of Agrodak Ganrajya:-

अपने नये राज्य की स्थापना के लिए महाराज अग्रसेन ने अपनी रानी माधवी के साथ सारे भारतवर्ष का भ्रमण किया। इसी दौरान उन्हें एक जगह एक शेरनी एक शावक को जन्म देते दिखी, कहते है जन्म लेते ही शावक ने महाराजा अग्रसेन के हाथी को अपनी माँ के लिए संकट समझकर तत्काल हाथी पर छलांग लगा दी। उन्हें लगा कि यह दैवीय संदेश है जो इस वीरभूमि पर उन्हें राज्य स्थापित करने का संकेत दे रहा है। ॠषि मुनियों और ज्योतिषियों की सलाह पर नये राज्य का नाम अग्रेयगण या अग्रोदय रखा गया और जिस जगह शावक का जन्म हुआ था उस जगह अग्रोदय की राजधानी अग्रोहा की स्थापना की गई। यह जगह आज के हरियाणा के हिसार के पास हैं। आज भी यह स्थान अग्रवाल समाज के लिए पांचवे धाम के रूप में पूजा जाता है, वर्तमान में अग्रोहा विकास ट्रस्ट ने बहुत सुंदर मन्दिर, धर्मशालाएं आदि बनाकर यहां आने वाले अग्रवाल समाज के लोगो के लिए सुविधायें जुटा दी हैं।

समाजवाद के अग्रदूत | Agradoot of Samajwad:-

महाराजा अग्रसेन को समाजवाद का अग्रदूत कहा जाता है। अपने क्षेत्र में सच्चे समाजवाद की स्थापना हेतु उन्होंने नियम बनाया कि उनके नगर में बाहर से आकर बसने वाले प्रत्येक परिवार की सहायता के लिए नगर का प्रत्येक परिवार उसे एक तत्कालीन प्रचलन का सिक्का व एक ईंट देगा, जिससे आसानी से नवागन्तुक परिवार स्वयं के लिए निवास स्थान व व्यापार का प्रबंध कर सके। महाराजा अग्रसेन ने तंत्रीय शासन प्रणाली के प्रतिकार में एक नई व्यवस्था को जन्म दिया, उन्होंने पुनः विरासत में छोडी गई नैतिकता, नीति एवं सामाजिक आदर्शों की पुनर्प्रतिष्ठापना के लिए प्रयास किया।

इस प्रकार, महाराजा अग्रसेन एक प्रेरणास्त्रोत थे जिन्होंने समाज में सामाजिक समरसता, सहानुभूति, और नैतिकता की महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान दिलाने का कार्य किया। उनके नाम पर अग्रसेन के समुदाय आज भी समाज के विकास और सेवा में योगदान कर रहे हैं।

महाराज अग्रसेन पर पुस्तकें | Books on Maharaja Agrasen:-

महाराज अग्रसेन के बारे में अनगिनत पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं। प्रमुख लेखक भारतेंदु हरिश्चंद्र, जो खुद एक अग्रवाल समुदाय के हिस्से थे, ने १८७१ में ‘अग्रवालों की उत्पत्ति’ नामक महत्वपूर्ण पुस्तक लिखी, जिसमें विस्तार से महाराज अग्रसेन के बारे में जानकारी दी गई। रवि प्रकाश रामपुर, उत्तर प्रदेश, ने महाराज अग्रसेन पर ‘एक राष्ट्र एक जन’ नामक पुस्तक लिखी, जिसमें महालक्ष्मी व्रत कथा का हिंदी पद्य अनुवाद भी है।

भारत सरकार द्वारा सम्मान | Respect from Indian Government:-

१९७६ में भारत सरकार ने महाराज अग्रसेन के नाम पर २५ पैसे के डाक टिकट को जारी किया। १९९५ में भारत सरकार ने दक्षिण कोरिया से ३५० करोड़ रुपये में एक विशेष तेल वाहक पोत (जहाज) खरीदा, जिसका नाम “महाराज अग्रसेन” रखा गया, जिसकी क्षमता १,८०,०००० टन है। राष्ट्रीय राजमार्ग – १० का आधिकारिक नाम महाराज अग्रसेन के नाम पर है।

अग्रसेन की बावली, जो दिल्ली के कनॉट प्लेस के पास हैली रोड पर स्थित है, ६० मीटर लम्बी और १५ मीटर चौड़ी बावड़ी है, जो पुरातात्विक स्थल और अवशेष अधिनियम १९५८ के तहत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के द्वारा देखभाल की जाती है। २०१२ में भारतीय डाक ने अग्रसेन की बावली पर डाक टिकट जारी किया।

Summary | सारांश:-

महाराजा अग्रसेन जयंती एक ऐसा पर्व है जो भारतीय समाज में गर्व से मनाया जाता है, क्योंकि इसे महाराजा अग्रसेन के जीवन और कार्यों की स्मृति में मनाने का अवसर मिलता है। यह त्योहार हर साल महाराजा अग्रसेन जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है और यह एक महत्वपूर्ण दिन है जब लोग उनके योगदान को याद करते हैं।

महाराजा अग्रसेन का जन्म किसी ऐसे समय में हुआ था, जब समाज में असामाजिकता और भेदभाव की समस्या थी। वे अपने जीवन के प्रारंभ में व्यापार के क्षेत्र में काम करते थे, लेकिन उनका सपना था कि वे समाज की समृद्धि और एकता के लिए कुछ करें।

महाराजा अग्रसेन ने अपने समर्पण और सेवाभाव के साथ समाज के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने अपने समर्पण से एक समृद्धि और एकता की भावना को प्रोत्साहित किया और अपने व्यापारिक सफलता का उपयोग समाज की उन्नति में किया।

महाराजा अग्रसेन जयंती के दिन, लोग मंदिरों में जाते हैं और पूजा अर्चना करते हैं। यह दिन समाज के सभी वर्गों के लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, और वे समाज में एकता और समृद्धि की प्राप्ति के लिए संकल्प लेते हैं।

महाराजा अग्रसेन का संदेश आज भी हमारे लिए महत्वपूर्ण है। उनके जीवन के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें समाज में सेवा करना चाहिए और समृद्धि के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

इस महाराजा अग्रसेन जयंती पर, हमें अपने जीवन में भी उनके आदर्शों का पालन करना चाहिए और समाज के उन्नति और एकता के लिए समर्पित रहना चाहिए। महाराजा अग्रसेन जी के जीवन के महत्वपूर्ण संदेशों को याद करके हम समृद्ध और एकमानव समाज की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

इस महाराजा अग्रसेन जयंती के अवसर पर, हम समाज के और अपने आस-पास के लोगों के साथ मिलकर समर्पण और सेवा की भावना को बढ़ावा देने का प्रतिबद्ध रहें। यही एक सशक्त और समृद्ध समाज की नींव हो सकती है, जिसमें सभी व्यक्तियों को उनके योगदान के लिए सम्मान और समर्थन मिलता है।

महाराजा अग्रसेन जी की जयंती के इस अवसर पर, हम सभी को उनके योगदान को समझने और मान्यता देने का संकल्प लेना चाहिए, और उनके आदर्शों का पालन करके हमें भारतीय समाज को और भी समृद्ध और एकता से भरपूर बनाने का कार्य करना चाहिए।

जय महाराजा अग्रसेन! जय हिन्द!

Frequently Asked Questions and Answers:-

1. महाराज अग्रसेन कौन थे?

  • महाराज अग्रसेन एक प्रमुख भारतीय ऐतिहासिक व्यक्ति थे जो अग्रवाल समुदाय के मान्यता गए संस्थापक थे।

2. महाराज अग्रसेन का जन्म कहाँ हुआ था?

  • महाराज अग्रसेन का जन्म किला दानपुर, हरियाणा, भारत में हुआ था।

3. अग्रसेन समुदाय के कैसे नामकरण हुआ?

  • अग्रसेन समुदाय का नाम महाराज अग्रसेन के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने इस समुदाय की स्थापना की थी।

4. महाराज अग्रसेन के योगदान क्या रहा?

  • महाराज अग्रसेन ने अपने योगदान से समाज को एक मजबूत सामाजिक संगठन प्रदान किया, जिसमें उन्होंने व्यापार और सामाजिक कार्यों को मिलाकर समर्थन दिया।

5. महाराज अग्रसेन जी के बारे में कौन-कौनसी पुस्तकें लिखी गई हैं?

  • अनगिनत पुस्तकें महाराज अग्रसेन के जीवन और उनके योगदान के बारे में लिखी गई हैं। प्रमुख लेखकों में भारतेंदु हरिश्चंद्र और रवि प्रकाश रामपुर शामिल हैं।

6. महाराज अग्रसेन को किस प्रकार का सम्मान मिला है?

  • १९७६ में भारत सरकार ने महाराज अग्रसेन के नाम पर २५ पैसे के डाक टिकट को जारी किया था।

7. कौन-कौन सी जगहें महाराज अग्रसेन के समर्थन में प्रसिद्ध हैं?

  • महाराज अग्रसेन के समर्थन में भारत में कई जगहें हैं, जैसे कि अग्रसेन की बावली और राष्ट्रीय राजमार्ग – १०।

8. महाराज अग्रसेन का संबंध किस समुदाय से था?

  • महाराज अग्रसेन का संबंध अग्रवाल समुदाय से था, जो भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण व्यापारिक समुदाय है।

9. महाराज अग्रसेन के योगदान का महत्व क्या है?

  • महाराज अग्रसेन के योगदान से अग्रवाल समुदाय का सामाजिक और आर्थिक विकास हुआ और उन्होंने समाज को व्यापार में मदद की।

10. महाराज अग्रसेन के बारे में और अधिक जानकारी कहाँ से प्राप्त कर सकते हैं?

  • महाराज अग्रसेन के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप पुस्तकों, जानकारों, और वेबसाइटों का सहारा ले सकते हैं, जो उनके योगदान को और अधिक समझने में मदद कर सकते हैं।
2 thought on “Maharaja Agrasen Biography in Hindi 2023 | महाराजा अग्रसेन एक समाज सेवी के जीवन परिचय”

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