महा शिवरात्रि की तिथि: 8 मार्च, 2024
महा शिवरात्रि का दिन: शुक्रवार
चतुर्दशी तिथि शुरुआत: 8 मार्च, 2024, रात्रि 9:57 बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्ति: 9 मार्च, 2024, शाम 6:17 बजे
निशित काल पूजा समय: 9 मार्च, 2024, रात्रि 12:07 से 12:56 बजे तक
रात्रि का पहला प्रहर पूजा समय: 8 मार्च, 2024, शाम 6:25 से 9:28 बजे तक
रात्रि का दूसरा प्रहर पूजा समय: 8 मार्च, 2024, रात्रि 9:28 से 9 मार्च, 2024, रात्रि 12:31 बजे तक
रात्रि का तीसरा प्रहर पूजा समय: 9 मार्च, 2024, रात्रि 12:31 से 3:34 बजे तक
रात्रि का चौथा प्रहर पूजा समय: 9 मार्च, 2024, रात्रि 3:34 से 6:37 बजे तक
शिवरात्रि पारण समय: 9 मार्च, 2024, दिन 6:37 से 3:29 बजे तक
महाशिवरात्रि: महादेव की अद्भुत पूजा
महाशिवरात्रि हिन्दू धर्म के एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस अवसर पर भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है और शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। यह पर्व भगवान शिव को नम्रता और प्रेम के साथ अर्पित किया जाता है, जिससे हमारा जीवन सफलता और सुख के साथ भरा रहे।
महाशिवरात्रि के त्योहार का महत्व
महाशिवरात्रि का त्योहार हिन्दू परंपरा में बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन के उपासना और पूजन से मानव जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है। यह दिन भगवान शिव के अत्यंत कृपालु और दयालु रूप का प्रतीक है। भगवान शिव की पूजा करने से मनुष्य को शांति, सफलता, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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महाशिवरात्रि का महत्वपूर्ण अंग
- जागरण: महाशिवरात्रि की रात में भक्त जागरण करते हैं और भगवान शिव की महिमा गाते हैं। इसमें भक्ति और श्रद्धा की गहरी भावना होती है।
- अभिषेक: भगवान शिव की मूर्ति को दूध, दही, घी, शहद, बिल्व पत्र, गंगाजल आदि से स्नान किया जाता है, जो उनकी कृपा को प्राप्त करने में मदद करता है।
- ध्यान और मनन: भगवान शिव की ध्यान और मनन करने से मनुष्य की आत्मा में शांति और स्थिरता की प्राप्ति होती है।
शिव पुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि पूजा में छह वस्तुओं को अवश्य शामिल करना चाहिए:
- शिव लिंग का पानी, दूध और शहद के साथ अभिषेक करना।
- बेर या बेल के पत्ते जो आत्मा की शुद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- सिंदूर का पेस्ट स्नान के बाद शिव लिंग पर लगाना, जो पुण्य का प्रतिनिधित्व करता है।
- फल, जो दीर्घायु और इच्छाओं की सन्तुष्टि को दर्शाते हैं।
- जलती धूप, धन, उपज (अनाज)।
- दीपक जो ज्ञान की प्राप्ति के लिए अनुकूल है।
- पान के पत्ते जो सांसारिक सुखों के साथ सन्तोष अंकन करते हैं।
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अभिषेक में निम्न वस्तुओं का प्रयोग नहीं किया जाता है:
- तुलसी के पत्ते
- हल्दी
- चंपा और केतकी के फूल
शिव पुराण के अनुसार, बारह ज्योतिर्लिंग (प्रकाश के लिंग) जो पूजा के लिए भगवान शिव के पवित्र धार्मिक स्थल और केन्द्र हैं। वे स्वयंभू के रूप में जाने जाते हैं, जिसका अर्थ है “स्वयं उत्पन्न”। बारह स्थानों पर बारह ज्योर्तिलिंग स्थापित हैं।
1. सोमनाथ यह शिवलिंग गुजरात के काठियावाड़ में स्थापित है।
2. श्री शैल मल्लिकार्जुन मद्रास में कृष्णा नदी के किनारे पर्वत पर स्थापित है श्री शैल मल्लिकार्जुन शिवलिंग।
3. महाकाल उज्जैन के अवंति नगर में स्थापित महाकालेश्वर शिवलिंग, जहाँ शिवजी ने दैत्यों का नाश किया था।
4. ॐकारेश्वर मध्यप्रदेश के धार्मिक स्थल ओंकारेश्वर में नर्मदा तट पर पर्वतराज विंध्य की कठोर तपस्या से खुश होकर वरदाने देने हुए यहां प्रकट हुए थे शिवजी। जहां ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित हो गया।
5. नागेश्वर गुजरात के द्वारकाधाम के निकट स्थापित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग।
6. बैजनाथ झारखंड के बैद्यनाथ धाम में स्थापित शिवलिंग।
7. भीमाशंकर महाराष्ट्र की भीमा नदी के किनारे स्थापित भीमशंकर ज्योतिर्लिंग।
8. त्र्यंम्बकेश्वर नासिक (महाराष्ट्र) से 25 किलोमीटर दूर त्र्यंम्बकेश्वर में स्थापित ज्योतिर्लिंग।
9. घृष्णेश्वर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एलोरा गुफा के समीप वेसल गाँव में स्थापित घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग।
10. केदारनाथ हिमालय का दुर्गम केदारनाथ ज्योतिर्लिंग। हरिद्वार से 150 पर मिल दूरी पर स्थित है।
11. काशी विश्वनाथ बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग।
12. रामेश्वरम् त्रिचनापल्ली (मद्रास) समुद्र तट पर भगवान श्रीराम द्वारा स्थापित रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग।
Complete Information about Ram Mandir Ayodhya in Hindi
महाशिवरात्रि के उत्सव में रंग-बिरंगे परिधान और आदर-सत्कार
महाशिवरात्रि के उत्सव में लोग शिव मंदिरों में भक्ति भाव से आते हैं और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन के उत्सव में लोग रंग-बिरंगे परिधान पहनकर आते हैं और भगवान शिव को अपनी भक्ति के रूप में अर्पित करते हैं। वे भगवान शिव के ध्यान में लीन हो जाते हैं और उनकी कृपा को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
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महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में विशेष प्रसाद
महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में विशेष प्रसाद के रूप में बिल्व पत्र, पंचामृत, फल, खीर, पाकवान, आदि प्रसाद प्रदान किया जाता है। इस प्रसाद को लोग भक्ति और आदर के साथ लेते हैं और अपने घर ले जाकर परिवार के साथ बाँटते हैं। यह प्रसाद भगवान शिव की कृपा का प्रतीक होता है और लोग इसे अपने जीवन में सुख-शांति लाने के लिए प्रार्थना करते हैं।
मध्य भारत में बहुत सारे शिव अनुयायियों का समूह है। उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर, एक प्रमुख तीर्थ स्थल है जो शिव को समर्पित है, जहाँ महा शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की आराधना में भक्तों का एक बड़ा समूह इकट्ठा होता है। जबलपुर शहर के तिलवाड़ा घाट और सिवनी के गाँव जेओनारा में स्थित मठ मंदिर दो और स्थान हैं जहाँ यह त्योहार धार्मिक उत्साह के साथ मनाया जाता है।
पंजाब में, विभिन्न हिन्दू संगठनों द्वारा विभिन्न शहरों में शोभा यात्राएँ आयोजित की जाती हैं। यह पंजाबी हिन्दुओं के लिए एक महान त्योहार है।
गुजरात में, महा शिवरात्रि मेला भावनाथ के पास जूनागढ़ में आयोजित किया जाता है, जहाँ मृगी कुंड में स्नान को पवित्र माना जाता है। पुराणों के अनुसार, भगवान शिव खुद मृगी कुंड में स्नान करने आते हैं।
पश्चिम बंगाल में, महा शिवरात्रि को अविवाहित किशोरियों और लड़कों द्वारा बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है जो एक उचित पति या पत्नी की खोज में होते हैं, अक्सर तारकेश्वर का दर्शन करते हैं।
उड़ीसा में, महा शिवरात्रि को जागरा के रूप में भी जाना जाता है। लोग अपनी इच्छाओं के लिए पूरे दिन उपवास रखते हैं और ‘महादीप’ (महान दीप) शिव मंदिर के शिखर पर उठने के बाद भोजन करते हैं। यह आमतौर पर मध्य रात्रि में होता है। अविवाहित किशोरियाँ भी उचित पति के लिए पूजा करती हैं।
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समापन | Summary:
महाशिवरात्रि हमें शिव के आद्यांत और अनंत रूप का अनुभव कराता है। इस त्योहार के दिन हमें अपने मन को शुद्ध करके आध्यात्मिकता की ओर बढ़ने का अवसर मिलता है। भगवान शिव की अनुग्रह से हमें सफलता, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति हो। इसलिए, इस महान पर्व पर हमें भगवान शिव की पूजा करने और उनकी कृपा को प्राप्त करने का संकल्प लेना चाहिए। भगवान शिव की कृपा से हमें सदा सुखी और समृद्ध जीवन प्राप्त हो।
जय भोलेनाथ! ऊँ नमः शिवाय!
महाशिवरात्रि पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently asked Questions and Answers:
1. महाशिवरात्रि क्या है?
महाशिवरात्रि हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो भगवान शिव के आद्यांत की उत्सव पर्व है। यह हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है।
2. महाशिवरात्रि के क्या महत्व हैं?
महाशिवरात्रि का महत्वपूर्ण कारण है कि इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने का विशेष अवसर मिलता है, जिससे भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त होती है। इस दिन को अनेक प्रार्थनाओं और पूजा-अर्चना के साथ मनाने से मनुष्य को धार्मिक, मानवीय, और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग मिलता है।
3. महाशिवरात्रि कैसे मनाई जाती है?
महाशिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा-अर्चना, जागरण, भजन-कीर्तन, और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करके मनाया जाता है। लोग शिव मंदिरों में भीड़ उमड़ते हैं और अपनी पूजा करते हैं।
4. महाशिवरात्रि पर क्या खाना चाहिए?
महाशिवरात्रि पर सबसे अधिक लोकप्रिय प्रसाद बिल्व पत्र, पंचामृत, फल, खीर, और दूध है। यह सभी प्रसाद भगवान शिव को अर्पित किए जाते हैं और फिर पूजा के बाद भक्तों के बीच बाँटे जाते हैं।
5. महाशिवरात्रि के उपासना का महत्व क्या है?
महाशिवरात्रि के उपासना और पूजा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, जिससे मनुष्य को धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्राप्त होता है। इसके अलावा, यह उपासना मन को शांति, समृद्धि, और सकारात्मकता की ओर ले जाती है।
6. महाशिवरात्रि के दिन क्या नहीं करना चाहिए?
महाशिवरात्रि के दिन शास्त्रों में निर्धारित नियमों का पालन करना चाहिए। इस दिन को किसी भी प्रकार की नशे की सामग्री का सेवन नहीं करना चाहिए और निर्धारित व्रत और पूजा का पालन करना चाहिए।
7. क्या धार्मिक प्रार्थनाओं का एक मान्यता से नजरिया है?
हां, महाशिवरात्रि के दिन धार्मिक प्रार्थनाओं का अत्यंत महत्व होता है। इस दिन को भगवान शिव की आराधना और पूजा करने का समय माना जाता है, जिससे भक्त उनकी कृपा प्राप्त करते हैं।
ये थे कुछ महाशिवरात्रि संबंधित प्रमुख प्रश्न और उनके उत्तर। इन्हें समझने के बाद लोग महाशिवरात्रि के उत्सव को और भी अधिक महत्वपूर्ण और मानवीय रूप से अपना सकेंगे।
Thanks
Om namah shivaye
Har har mahadev 🙏